642. चुनरी पिय के प्रेम की (कुंडलिया)
चुनरी पिय के प्रेम की, जब से लई सजाय।
रंग-रूप निखरा सखी, नयना रहे लजाय।
नयना रहे लजाय, हिया ले रहा हिलोरें।
मन है वश में नाँय, कौन विधि बाँधें-छोरें।खिला अंग-प्रत्यंग, सत्य यह आली सुन री।
जगा आत्मविश्वास, ओढ़कर पिय की चुनरी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.11.2018
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