Saturday, November 17, 2018

642. चुनरी पिय के प्रेम की (कुंडलिया)

642. चुनरी पिय के प्रेम की (कुंडलिया)

चुनरी पिय  के प्रेम की, जब से  लई  सजाय।
रंग-रूप  निखरा  सखी, नयना  रहे  लजाय।
नयना  रहे   लजाय,  हिया  ले   रहा  हिलोरें।
मन है  वश  में  नाँय, कौन  विधि  बाँधें-छोरें।खिला अंग-प्रत्यंग, सत्य यह  आली  सुन री।
जगा आत्मविश्वास, ओढ़कर पिय की चुनरी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.11.2018
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