381. जहाँ हर चीज़ मिलती है
जहाँ हर चीज़ मिलती है, उसे बाज़ार कहते हैं,
बना ले रास्ता अपना, उसी को धार कहते हैं,
मिटा दे दूरियाँ रिस्ता, उसी को प्यार कहते हैं,
किसी भी काम का ना हो, उसे बेकार कहते हैं।
ये परेशानी के बादल, भी कभी छट जाएंगे,
कौन कितना चाहता है, सब नज़र आ जाएंगे,
आप मुख को मोड़कर, कुछ नया करते नहीं,
एक दिन ये सब बुरे दिन, भी अरे कट जाएंगे।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
18.07.2017
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