Sunday, July 09, 2017

375. ठाकुर ठोकर खा बने (कुण्डलिया)

375. ठाकुर ठोकर खा बने (कुण्डलिया)

ठाकुर, ठोकर  खा बने, इस सच को लो जान।
कभी न  मिलते  भीख में, पद वैभव  सम्मान।
पद  वैभव   सम्मान, बिना  उद्योग  मिले कब।
तभी  पूजनीय  बने, छेनि  से  देह  छिले जब।
ठाकुर  बनने  हेतु,  फिरे  क्यों  इतना  आतुर।
बिन ठोकर खा कौन, बना इस जग में ठाकुर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
09.07.2017
*****
ठाकुर- ईश्वर, देवता, मुखिया

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.