377. पंकजमुख, काले नयन (कुण्डलिया)
पंकजमुख, काले नयन, गौरवर्ण यह देह।
अधरों पर मुस्कान ले, अँखियों में ले नेह।
अँखियों में ले नेह, धरा पर कामिन उतरी।
छूते होय मलीन, देह यह सुथरी-सुथरी।
भ्रमर चक्षु मदहोश, लूटते दर्शन का सुख।
पंकज रहे लजाय, देखकर यह पंकजमुख।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
15.07.2017
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