Saturday, July 15, 2017

376. सावन की ऋतु आ गयी (कुण्डलिया)

376. सावन की ऋतु आ गयी (कुण्डलिया)

सावन  की  ऋतु आ गयी, घन छाई  चहुँओर।
दादुर  शोर  मचात  हैं, पिउ-पिउ  करते  मोर।
पिउ-पिउ  करते मोर, कामिनी  को  ललचाते।
झूम - झूमकर   वृक्ष,  लता  को  अंग  लगाते।
विरहन को है आस, सजन के  घर आवन की।
रह-रह आग लगाय, जिया में ऋतु सावन की।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.07.2017
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