376. सावन की ऋतु आ गयी (कुण्डलिया)
सावन की ऋतु आ गयी, घन छाई चहुँओर।
दादुर शोर मचात हैं, पिउ-पिउ करते मोर।
पिउ-पिउ करते मोर, कामिनी को ललचाते।
झूम - झूमकर वृक्ष, लता को अंग लगाते।
विरहन को है आस, सजन के घर आवन की।
रह-रह आग लगाय, जिया में ऋतु सावन की।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.07.2017
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