Sunday, February 25, 2018

529. व्याकुल अंबर दीखता (कुण्डलिया)

529. व्याकुल अंबर दीखता (कुण्डलिया)

व्याकुल अंबर  दीखता, जाग  रहा  अनुराग।
और  धरा  सजने लगी,  जब से आया फाग।
जब से  आया  फाग,  फूल  पर  भौंरे  डोलें।
कलियाँ  लाज बिसार, स्वयं घूँघट पट खोलें।
रंग-रूप अनुराग, देख  सब जग  है आकुल।
जब से आया फाग, दिखे यह अंबर व्याकुल।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
24.02.2018
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