Tuesday, February 06, 2018

511. चाहें हम क्यों, क्यों कहें (कुण्डलिया)

मेरी समझ में यह नहीं आता कि भारत को ज़िंदाबाद कहने कि बजाय कुछ लोग पाकिस्तान को मुर्दाबाद कहने और कहलवाने की पीछे क्यों पड़े हैं? अच्छा यही है कि हम भारत जिंदाबाद कहें। दूसरे देश को गालियां देने को देशभक्ति नहीं कहा जा सकता है।

अपनी खामियों को छुपाने के लिए, टीवी पर पड़ोसी देश को गालियाँ देना एक घटिया बौद्धिक सोच का प्रदर्शन है। हमारे पास विश्व की एक बेहतरीन सेना है। देशहित में जो करना हो हमें करना चाहिए।

हमें यह भी सोचना होगा कि हमारे लिए महत्वूवर्ण यह है कि हमारा एक भी जवान शहीद न हो, या यह कि हमें एक के बदले दुश्मन के दस सिर चाहिए। क्या एक के बदले शत्रु के दस शीश हमारे शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को सांत्वना प्रदान कर सकते हैं?

511. चाहें हम क्यों, क्यों कहें (कुण्डलिया)

चाहें हम क्यों, क्यों कहें, पाक को' मुर्दाबाद।
अच्छा  हो  हम  यह कहें, भारत  ज़िंदाबाद।
भारत   ज़िंदाबाद,   रहा   है    और   रहेगा।
कुशल  होय  चहुँओर, हमेशा  यही  कहेगा।
"दो के बदले बीस", राग यह  क्यों गायें हम।
एक  न  हो  बलिदान, हमारा  ये  चाहें  हम।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
05.02.2018
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