Wednesday, February 14, 2018

516. साजें गंगा शीश पर (कुण्डलिया)

516. साजें गंगा शीश पर (कुण्डलिया)

साजें  गंगा  शीश पर,  तन पर सजे भभूति।
भाल चन्द्रमा सज रहा, देत सुखद अनुभूति।
देत  सुखद   अनुभूति,  वाम  में  पार्वती  हैं।
प्रथम  भामिनी  रहीं,  पूर्व  में  रहीं  सती हैं।
चिमटा, ढोल, मृदंग,  खंजड़ी, तबला  बाजें।
शिवजी  गौरी  संग, आज हर  उर में  साजें।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.02.2018
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.