संत शिरोमणि गुरु रविदास, जो जातिपाँति, छुआछूत और पाखंड के प्रबल विरोधी रहे और तत्कालीन समाज में समानता का बीजारोपण करते रहे और जिनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, को उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन।
उनकी महानता का इससे भी पता चलता है कि जिस दौर में छुआछूत चरम पर थी, महान संत मीराबाई ने तथाकथित उच्चवर्णों के अन्य संतों को छोड़कर, उन्हें अपना गुरु माना।
उनके एक दोहा जो जातिप्रथा पर करारा प्रहार करता है, का सहारा लेकर बनाई गई कुण्डलिया, उन्हें श्रद्धासुमन के रूप में अर्पित है।
506. जाति जाति में जाति है (कुण्डलिया)
जाति जाति में जाति है, ज्यों केले के पात।
मनुज मिले, रैदास नहिं, जब तक जाति न जात।
जब तक जाति न जात, न उपजे भाई-चारा।
ऊँच - नीच का रोग, देश खा जाए सारा।
कुछ ना हासिल हुआ, आज तक जातिपाति में।
कब तक बँटे रहेंगे हम सब, जाति जाति में।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
31.01.2018
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.