Saturday, February 17, 2018

521. बाप बनाया हर गधा (कुण्डलिया)

521. बाप बनाया हर गधा (कुण्डलिया)

बाप  बनाया  हर गधा, पर नहीं बदला वक्त।
गधे  काम  ना आ  सके,  होकर रहे  विरक्त।
होकर रहे  विरक्त, जाति  अपनी दिखलायी।
फर्ज  भूलते  रहे,  शर्म  इनको   नहिं  आयी।
काम गया जब निकल, काम कोई ना आया।
हर  चुनाव  पर  यार, गधों  को  बाप बनाया।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.02.2018
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