Friday, March 02, 2018

532. होली में हुड़दंग

532.  होली में हुड़दंग

सेमल, जामुन, आम, अनार,  सभी  बौराये  बाग बगीचे।
भंग के  संग मची  हुड़दंग, गए खुल  सिगरे द्वार-दरीचे।
भाज रही  घर भीतर  कोई,  कोइ पकड़ कैं बाहर खींचे।
जबरन जात घुसे घर में सब, भीज रहे  गद्दा  औ गलीचे।

कोइ  उलीच  रही   लोटन  से,  कोई  दोनों  हाथ उलीचे।
कोइ  छुपाय  रही  जोबन कौं, कोइ  पकड़ गालन को भींचे।
कोई खुद  में सिमट रही तो, कोई लाज से आँखें  मींचे।
कोइ दबाए  है जाँघन बिच, कोइ दिखे खुद जाँघन नीचे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
02.03.2018
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