Thursday, March 29, 2018

541. काग दही पर जान गँवाया (मुक्तक)

एक बार एक कौआ हलबाई की दुकान पर दही खाने के लिए आया तो हलबाई ने उसे उड़ाने के लिए डंडा घुमाया जो कौए के लग गया और वह मर गया। जिससे द्रवित होकर उस कम पढ़े-लिखे हलबाई ने टूटे-फूटे शब्दों में दीवार पर खड़िया से लिखा "कागदही पर जान गँवाया"। एक दिन वहाँ पर आये तीन व्यक्ति आये जिसमें एक भूखा, दूसरा विद्वान और तीसरा भोगी प्रवृत्ति का था। तीनों ने अपने-अपने हिसाब से इस वाक्य का क्या-क्या अर्थ निकाले, यह देखिए।

541. काग दही पर जान गँवाया (मुक्तक)

भूखा बोला भूख की खातिर, काग  दही पर जान गँवाया।
साधु-साधु  कह ज्ञानी बोला, कागद  ही  पर जान गँवाया।
भोगी  बोला  जन्म  लिया  तो,  खाता-पीता मौज उड़ाता,
मरना  ही था  हूर  पे  मरता, का  गदही  पर जान गँवाया।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
28.03.2018
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.