400. फिर नया इक हादसा (मुक्तक)
फिर नया इक हादसा, निर्दोष जनता फिर मरी।
फिर वही बेशर्म बातें, फिर वही वाजीगरी।
आप के आश्वासनों का, बोलिये हम क्या करें।
आप ही बतलाइए प्रभु, कब तलक यूँ हम मरें।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.08.2017
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फिर नया इक हादसा, निर्दोष जनता फिर मरी।
फिर वही बेशर्म बातें, फिर वही वाजीगरी।
आप के आश्वासनों का, बोलिये हम क्या करें।
कुछ करो अब आँकड़ों की, छोड़ दो जादूगरी।
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