Saturday, August 05, 2017

392. आशा का दीपक लेकर चल (मुक्तक)

392. आशा का दीपक लेकर चल

आशा का दीपक लेकर चल, सजनी यह डगर अँधेरी है।
छोटी - छोटी  बातों  को  ले,  क्यों तूने  नजर ये  फेरी है।
तनहाई  तो  तनहाई  है, क्यों  ये  सवाल  तुम  करते  हो?
कि मुझको  जरूरत  तेरी  है, या  तुमको जरूरत मेरी है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
05.08.2017
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