Thursday, August 17, 2017

398. ठाकुर एक स्वभाव है (कुण्डलिया)

398. ठाकुर एक स्वभाव है (कुण्डलिया)

ठाकुर  एक  स्वभाव है, इसकी  होत न जात।
परमारथ हित  जो जिये, वो ठाकुर  कहलात।
वो ठाकुर कहलात, पिये विष जग के हित में।
भेदभाव, अन्याय,  नहीं  हो  जिसके  चित में।
गरल पान नहिं सरल, फिरे क्यों इतना आतुर।
बिना त्याग बलिदान, बना  को जग में ठाकुर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.08.2017
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