399. तिरछी चितवन तीर सी (कुण्डलिया)
तिरछी चितवन तीर सी, भृकुटी खिंची कमान।
विश्वमोहनी रूप ये, सब मिल हरते प्रान।
सब मिल हरते प्रान, हार, झुमका औ बाली।
रक्तवर्ण ये होंठ, लटें ये काली - काली।
उन्नत उभरा वक्ष, दूधिया यह गोरा तन।
उर में घुसती जाय, हाय रे तिरछी चितवन।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
18.08.2017
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