Monday, August 07, 2017

396. चोटी की चिंता लगी (कुण्डलिया)

आजकल देश में अदृश्य चुटकटियों की अफवाहें काफी गर्म हैं। न्यूज चैनलों को भी बैठे-बैठाए मसाला मिल गया। झाड़फूंक करनेवाले तथा ढोंगी तांत्रिकों का भी कामधंधा प्रगति पथ पर बढ़ रहा है। ऐसे में सुंदर, श्यामल, सुकोमल, केशधारिणी नारियों के मन में उत्पन्न संशय एवं भय के वातावरण के ऊपर एक कुण्डलिया छंद।

396. चोटी की चिंता लगी (कुण्डलिया)

चोटी की चिंता लगी, किस विधि  रखूँ बचाय।
ना जाने किस भेष में, चुटकटिया  मिल जाय।
चुटकटिया  मिल  जाय, घात  में  बैठा हो जो।
हुक्मरान कुछ करो, शीघ्र तुम  इसको खोजो।
बैरी  का  क्या  पता, लटें  कब  कर  दे  छोटी।
निशदिन चिंता यही, बचाऊँ किस विधि चोटी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
07.08.2017
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चुटकटिया - चोटी काटनेवाला

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