Saturday, June 03, 2017

353. घोड़ा-घोड़ा होत है (कुण्डलिया)

कुण्डलिया छंद

घोड़ा - घोड़ा  होत  है, गधा - गधा ही होत।
घोड़ागाड़ी  में सखे, कभी गधा  मत  जोत।
कभी गधा मत जोत, काम ये नहीं गधे का।
नशा जोश का सही, रोग पर  बुरा नशे का।
गधा मनुज से ज्ञान, पा गया जब से थोड़ा।
रेंक-रेंक  कर  कहे, गधा  नहिं मैं  हूँ घोड़ा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
02.06.2017
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