369. मनहरण घनाक्षरी
सुबह की भोर आई, खुशियों को संग लाई,
हिलमिल आज सब, ईद को मनाइये।
अहमद मेरा यह पड़ोसी मेरा भाई है,
मेरे रहनुमा मुझे न, इससे लड़ाइये।
बनके हितैषी मेरे, काहे विष घोलते ये,
बैठकर सोचो सभी, अक्ल को लगाइये।
धरमो के ठेकेदार, धर्म का लिहाज करो,
आप देशवासियों में, खाई न बढ़ाइए।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.06.2017
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