Sunday, June 11, 2017

360. हिंद के किसान की न (कवित्त)

360. हिंद के किसान की न (कवित्त)

23 दिसंबर - किसान दिवस

हिंद के किसान की न, देखी जाती दशा आज,
सदियाँ    गुजर   गयीं,    वही   बुरा   हाल  है।

चिथड़ों  से  तन ढके, भूखा - प्यासा  लगा रहे,
जनने   से    मौत   तक,   जिये   फटेहाल   है।

दवा-दारू, शिक्षा, दूध, सपनों  की  बात  लगे,
दोनों   वक्त   नून   रोटी,   मिलना   मुहाल  है।

सबका  जो   पेट  भरे,  वही  विष  खाके  मरे,
फाँसी पे  लटक रहा,  किसी  को  न ख्याल है।

रणवीर सिंह (अनुपम)
10.06.2017
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जनने-जन्म; नून-नमक; मुहाल-दुष्कर

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