363. दुर्मिला सवैया छन्द
सगण (112) x 8
जब से पति की चिठिया है मिली, तब से फिरती चहकी - चहकी।
इतरा - इतराकर बात करे, घर बीच फिरे लहकी - लहकी।
तन से मदमस्त सुगंध बहे, सब सृष्टि लगे महकी - महकी।
कहुँ पैर धरे कहुँ पैर परे, कमनीय दिखे बहकी - बहकी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.06.2017
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