Wednesday, June 21, 2017

363. जब से पति की चिठिया (सवैया छंद)

363. दुर्मिला सवैया छन्द
सगण (112) x 8

जब से पति की चिठिया है मिली, तब से फिरती चहकी - चहकी।
इतरा - इतराकर   बात  करे,  घर  बीच  फिरे   लहकी - लहकी।
तन  से  मदमस्त  सुगंध  बहे,  सब  सृष्टि   लगे  महकी - महकी।
कहुँ  पैर  धरे   कहुँ  पैर  परे,  कमनीय   दिखे   बहकी - बहकी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
20.06.2017
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.