Sunday, June 11, 2017

359. कागज़ पर ही हो रही (कुण्डलिया)

359. कागज़ पर ही हो रही (कुण्डलिया)

कागज़  पर  ही   हो  रही,  खुशहाली  की  बात।
विज्ञापन    समझा   रहे,   अच्छे     हैं    हालात।
अच्छे  हैं  हालात,  कृषक फिर  सड़कों पर क्यों।
जब सब कुछ है ठीक, तुझे फिर लगता डर क्यों।
नौ  गज  की  उपलब्धि, बताता फिरता सौ गज।
ओ  रे  तिकड़मबाज,  दिखा  मत  झूठे  कागज।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
10.06.2017
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