Saturday, June 24, 2017

364. बड़ी ही सावधानी से (मुक्तक)

364. बड़ी ही सावधानी से (मुक्तक)

बड़ी  ही  सावधानी से, नजर को चार करती है।
निशाना  साध छाती  पर, करारा वार  करती है।
बड़ी हुशियार है जालिम, सँभलने भी नहीं देती।
नज़र के तीर को सीधा, जिगर के पार करती है।

रणवीर सिंह (अनुपम)
23.06.2016
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