Monday, March 25, 2019

735. खरबूजों की आजकल (कुंडलिया)

735. खरबूजों की आजकल (कुंडलिया)

खरबूजों की आजकल, नहीं दिख रही खैर।
नहीं  बचेगी जान अब, मेल - मिलाप बगैर।
मेल - मिलाप  बगैर, छुरा  यह  ना  मानेगा।
जाल   बिछाकर   दुष्ट, फाड़ने  की  ठानेगा।
कुशल-क्षेम अब नहीं, यहाँ पर तरबूजों की।
आफत में  हैं जान, आजकल खरबूजों की।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.03.2019
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