735. खरबूजों की आजकल (कुंडलिया)
खरबूजों की आजकल, नहीं दिख रही खैर।
नहीं बचेगी जान अब, मेल - मिलाप बगैर।
मेल - मिलाप बगैर, छुरा यह ना मानेगा।
जाल बिछाकर दुष्ट, फाड़ने की ठानेगा।
कुशल-क्षेम अब नहीं, यहाँ पर तरबूजों की।
आफत में हैं जान, आजकल खरबूजों की।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.03.2019
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