Thursday, March 07, 2019

720. चतुर बहुरिया इस तरह (कुंडलिया)

720. चतुर बहुरिया इस तरह (कुंडलिया)

चतुर बहुरिया इस तरह, मत बर्तन खटकाय।
कामधाम को  छोड़कर, काहे  गाल  बजाय।
काहे  गाल   बजाय, सत्य   हर  कोई  जाने।
तू   ही   नहिं  विद्वान, यहाँ  हैं   कई  सयाने।
औरों पर इस तरह, उठा मत रोज  उँगरिया।
समझूँ  तेरी  चाल, अरे  ओ  चतुर  बहुरिया।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
07.03.2019
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