725. जब से बालू पर लिखा (कुंडलिया)
जब से बालू पर लिखा, प्रिये तुम्हारा नाम।
लहरें आ-आ देखतीं, भूल गयीं सब काम।
भूल गयीं सब काम, सोचतीं अपने मन में।
कौन अवतरित हुई, हाय आकर जीवन में।
रोज उर्मियाँ जलभुन, रजकण देखें तब से।
सजनी तुम्हरा नाम, लिखा बालू पर जब से।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.03.2019
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