Wednesday, March 13, 2019

724. आजादी पाए हुए (कुंडलिया)

724. आजादी पाए हुए (कुंडलिया)

आजादी   पाए   हुए,  गुजरे  कइयों   साल।
तब भी वही सवाल थे, अब भी वही सवाल।
अब भी वही सवाल, किसलिए हैं हम जीते?
सिकुड़ा - सूखा   गात, चक्षु   हैं   रीते - रीते।
क्षुधा उपशमन  हेतु, पेट  से  पीठ मिला दी।
कैसे   हम  आजाद,  हाय   कैसी  आजादी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
13.03.2019
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