724. आजादी पाए हुए (कुंडलिया)
आजादी पाए हुए, गुजरे कइयों साल।
तब भी वही सवाल थे, अब भी वही सवाल।
अब भी वही सवाल, किसलिए हैं हम जीते?
सिकुड़ा - सूखा गात, चक्षु हैं रीते - रीते।
क्षुधा उपशमन हेतु, पेट से पीठ मिला दी।
कैसे हम आजाद, हाय कैसी आजादी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
13.03.2019
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