Saturday, June 16, 2018

570. जिसने अंतर्मन में झाँका (मुक्तक)

570. जिसने अंतर्मन में झाँका (मुक्तक)

जिसने अंतर्मन में झाँका, वो ही सत्य समझ पाया है।
सबको उतना ही मिल पाया, जितना जीवन मथ पाया है।
अमृत पीकर  इस दुनिया में, कोई  अमर  न   हो  पाया है।
जिसने जहर पिया जग खातिर, वो ही शंकर बन पाया है।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
16.06.2017
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