Tuesday, June 12, 2018

563. छिड़ी है मेघ की बूँदों में

563. छिड़ी है मेघ की बूँदों में

छिड़ी है  मेघ की  बूँदों में  जंग चोली  पर।
उछलतीं-कूदतीं  सब  एक संग चोली पर।
रश्क से जल रहा  हर एक अंग चोली पर।
फर्क न पड़ रहा कुछ भी मलंग चोली पर।

निगाह जब  से पड़ी आके चंग चोली पर।
हिलोर  मारती   रह-रह  तरंग  चोली  पर।
बिना पिये ही चढ़ी  आज भंग  चोली पर।
सवार  होके  है  आया  अनंग  चोली  पर।

उठे-उठे  से  दो  उन्मुक्त  श्रृंग  चोली  पर।
कसा  हुआ-सा है दीखे  मृदङ्ग चोली  पर।
रखा है जब से उसने  हाथ तंग चोली पर।
तभी  से  छा  रही  नूतन उमंग  चोली पर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
12.06.2018
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