Thursday, June 14, 2018

565. हमारे रहनुमा (मुक्तक)

565. हमारे रहनुमा (मुक्तक)

हमारे  रहनुमा  लफ़्फ़ाजियों  को  रहने  दो।
हमारे  दर्द  को  चुपचाप  हमको  सहने  दो।
एक न  एक दिन  इसका  भी अंत  होना है।
तब तलक घाव को रिसने दो और बहने दो।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.06.2018
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