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565. हमारे रहनुमा (मुक्तक)
हमारे रहनुमा लफ़्फ़ाजियों को रहने दो। हमारे दर्द को चुपचाप हमको सहने दो। एक न एक दिन इसका भी अंत होना है। तब तलक घाव को रिसने दो और बहने दो।
रणवीर सिंह 'अनुपम' 14.06.2018 *****
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