आप यहाँ पर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर स्तरीय रचनाएँ पढ़ सकते हैं।
559. अजीब हाल है (मुक्तक)
अजीब हाल है बदले सभी के ढंग यहाँ। गली के संग में दिल भी हुए हैं तंग यहाँ। यहाँ तो राह के पत्थर भी पुते धर्मों से। कहीं हरा तो कहीं गेरुआ है रंग यहाँ।
रणवीर सिंह 'अनुपम' 09.06.2018 *****
Note: Only a member of this blog may post a comment.
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.