555. मेरे दिल को न यूँ तुम (गजल)
मेरे दिल को न यूँ तुम जलाया करो।
इस तरह से इसे मत सताया करो।
छोटी-छोटी सी बातों पे क्या रूठना,
दिल के रिश्ते हैं दिल से निभाया करो।
प्रेम की ये डगर सीधी-साधी नहीं,
होश में आओ मत लड़खड़ाया करो।
हैं तुम्हारी गली में कई मनचले,
यूँ खुलेआम आया न जाया करो।
छत पे आकर के यूँ चाँदनी रात में,
मुख से ऐसे न घूँघट हटाया करो।
झील में इस तरह से उतरकर प्रिये,
आग पानी में तुम मत लगाया करो।
ये छरहरा बदन, ये लचीली कमर,
खुद को पागल हवा से बचाया करो।
क्या पता आइना कब बदल दे नियत,
रोज ऐसे न खुद को सजाया करो।
हाँ करी है तो यूँ हिचकिचाते हो क्यों,
हाथ ऐसे न अपना छुड़ाया करो।
उम्र कम उस पे कम नौजवानी सनम,
रूठकर वक्त यूँ मत गँवाया करो।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
02.06.2018
*****
दिल है नाजुक बहुत मत सताया करो।
इस तरह से इसे मत जलाया करो।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.