572. सतयुग भूषण श्रीमान्धाता (मुक्तक)
सतयुग भूषण श्रीमान्धाता, रावण श्रीराम सिधार गए।
दुर्योधन शकुनी धृतराष्ट्र, सबके छल-बल बेकार गए।
हे धूर्तमूर्त ! लेकिन तुझको, यह बात समझ नहिं आएगी।
हे शठ-कामी ! तुझको लगता, वसुधा तेरे सँग जाएगी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.06.2018
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मधु-कैटभ वृत्तासुर सबके, आसुरी प्रयत्न बेकार गए।
दुर्योधन शकुनी धृतराष्ट्र, वसुधा के बिना सिधार गए।
हे मुंजु! तुम्हें फिर भी लगता, यह साथ तुम्हारे जाएगी।
जब श्रीकृष्ण-बलराम स्वयं, सब छोड़-छाड़ उस पार गए।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.06.2018
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