Friday, November 10, 2017

441. बातें सुन-सुन खुश होत रहे (मुक्तक)

441. बातें सुन-सुन खुश होत रहे (मुक्तक)

बातें  सुन-सुन खुश होत रहे, सब कष्ट सहे हम हँस-हँस के।
कछु नाहिं मिलो पर नाथ हमें, बातों में  तुम्हरी फँस-फँस के।
हम टूट गए  हम हार गए, किस्मत के धागे  गस-गस के।
उल्टे तुम मार रहे चाबुक, श्रीमान हमीं पर कस-कस के।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
08.11.2017
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