437. दुनिया भर में शोर है (कुण्डलिया)
दुनिया भर में शोर है, पैदा हुआ विकास।
नाइन भौचक्की फिरे, देख हास - परिहास।
देख हास - परिहास, सोचती दाई मनमां।
बिन दात्री, के जीव, सृष्टि में कैसे जन्मा।
सूने आँगन - द्वार, दीखता किसी न घर में।
खेलन लगा विकास, शोर है दुनिया भर में।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
03.11.2017
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