Saturday, November 04, 2017

437. दुनिया भर में शोर है (कुण्डलिया)

437. दुनिया भर में शोर है (कुण्डलिया)

दुनिया  भर  में  शोर  है,  पैदा  हुआ विकास।
नाइन भौचक्की  फिरे,  देख  हास - परिहास।
देख   हास - परिहास,  सोचती   दाई  मनमां।
बिन  दात्री, के  जीव,  सृष्टि  में   कैसे  जन्मा।
सूने  आँगन - द्वार,  दीखता  किसी  न घर में।
खेलन लगा  विकास, शोर  है  दुनिया भर में।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
03.11.2017
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