438. दो कविताएं क्या लिखीं (कुण्डलिया)
दो कविताएं क्या लिखीं, बन बैठे कविराय।
छंद-बंद का ज्ञान नहिं, नहीं व्याकरण आय।
नहीं व्याकरण आय, नहीं लय-तुक से मतलब।
कथ्य-तथ्य का लोप, चरण से आशय गायब।
नहीं वर्तनी शुद्ध, वर्ण भी इन्हें न आएं।
दस-दस गलती करें, लिखें जब दो कविताएं।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.11.2017
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