Sunday, November 05, 2017

438. दो कविताएं क्या लिखीं (कुण्डलिया)

438. दो कविताएं क्या लिखीं (कुण्डलिया)

दो  कविताएं  क्या लिखीं,  बन  बैठे कविराय।
छंद-बंद  का ज्ञान नहिं,  नहीं  व्याकरण आय।
नहीं व्याकरण आय, नहीं लय-तुक से मतलब।
कथ्य-तथ्य  का लोप, चरण  से आशय गायब।
नहीं   वर्तनी  शुद्ध,  वर्ण   भी  इन्हें   न  आएं।
दस-दस गलती  करें, लिखें जब  दो कविताएं।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.11.2017
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