Saturday, September 30, 2017

422. नैनन सिंधु अथाह लिए है (मुक्तक)

422. नैनन सिंधु अथाह लिए है (मुक्तक)

नैनन  सिंधु  अथाह लिए है, मुख की कांति दसौ दिश छाई।
दंत कतार खिले मोतिन सी, होंठन मृदु मुस्कान सुहाई।
वक्ष  उभार  लिए  दुइ  टीला,  केश  भुजंग  भरें अँगड़ाई।
चाल निहार लजात हिरनिया, रूप निहार मयंक लजाई।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.09.2017
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