आज के ब्यायफ्रेंडस् पर एक नवगीत।
419. वेदना कुछ कम नहीं (नवगीत)
मत समझिये आधुनिक,
परिवेश में कुछ गम नहीं।
आज के इन मजनुओं की,
वेदना कुछ कम नहीं।
परिवेश में कुछ गम नहीं।
आज के इन मजनुओं की,
वेदना कुछ कम नहीं।
कल्पना की कल्पना में,
कुछ बिचारे रह गये।
तो किसी के दिल किसी,
आशा के मारे रह गये।
कइयों को राधा मिली थी,
कामिनी और गीतिका।
जुड़ नहीं संबंध पाया,
पर किसी से प्रीत का।
कुछ बिचारे रह गये।
तो किसी के दिल किसी,
आशा के मारे रह गये।
कइयों को राधा मिली थी,
कामिनी और गीतिका।
जुड़ नहीं संबंध पाया,
पर किसी से प्रीत का।
यह अलग है बात फिर भी,
आँख इनकी नम नहीं।
आँख इनकी नम नहीं।
कुछ तो छः छः प्रेमिकाओं,
की जकड़ से ग्रस्त हैं।
काम धेले का नहीं,
माँ-बाप इनके त्रस्त हैं।
मँहगी-मँहगी रोज जब,
फरमाइशें बढ़ने लगें।
प्यार के मारे बिचारे,
क्या न कुछ करने लगें।
की जकड़ से ग्रस्त हैं।
काम धेले का नहीं,
माँ-बाप इनके त्रस्त हैं।
मँहगी-मँहगी रोज जब,
फरमाइशें बढ़ने लगें।
प्यार के मारे बिचारे,
क्या न कुछ करने लगें।
प्रेमिका को जेब में अब,
दीखता दमखम नहीं।
दीखता दमखम नहीं।
कान ईयरफोन से,
हरवक्त ही बोझिल दिखें।
उँगलियाँ चलभाष पर हैं,
व्यस्त जाने क्या लिखें।
फोन पर आदेश देते,
चीखते, चिल्ला रहे।
आँख काढ़े प्रेमिका को,
डाँटते, गरिया रहे।
हरवक्त ही बोझिल दिखें।
उँगलियाँ चलभाष पर हैं,
व्यस्त जाने क्या लिखें।
फोन पर आदेश देते,
चीखते, चिल्ला रहे।
आँख काढ़े प्रेमिका को,
डाँटते, गरिया रहे।
जिंदगी इनकी भी लगती,
है मुझे बमबम नहीं।
है मुझे बमबम नहीं।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
29.09.2017
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29.09.2017
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