Thursday, September 28, 2017

418. माँ, बहना, सहचारिणी (कुण्डलिया)

नवरात्रों के पावन पर्व पर, नारी पर एक कुण्डलिया छंद।

418. माँ, बहना, सहचारिणी (कुण्डलिया)

माँ, बहना, सहचारिणी, इसके रूप अनेक।
नारी नर  का  मूल है, इससे  ही  हर - एक।
इससे ही  हर - एक,  नार से  कौन अछूता।
सखा, सचिव, गुरु, वैद्य, नार है  ईशप्रसूता।
शक्ति, प्रेम  का स्रोत, धरा है  यही आसमाँ।
नार सृष्टि  आधार,  नार  है  माओं  की  माँ।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
27.09.2017
*****

माँ,  बहना,  सहचारिणी, तुम्हरे  रूप अनेक।
तुम ही नर  का मूल हो,  तुमसे  है  हर - एक।
तुमसे  है  हर - एक,  विश्व  में  कौन  अछूता।
सखा, सचिव, गुरु, वैद्य, तुम्ही हो  ईशप्रसूता।
शक्ति,  प्रेम का स्रोत, धरा हो  तुम्ही आसमाँ।
तुम्ही जगत आधार, शत नमन  तुमको है माँ।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
27.09.2017
*****

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.