Saturday, September 30, 2017

420. मँहगा होता सत्य क्यों (कुण्डलिया)

420. मँहगा होता सत्य क्यों (कुण्डलिया)

मँहगा  होता  सत्य  क्यों,  और  झूठ आसान।
क्यों  इसमें   दुश्वारियाँ,  क्यों  ले   लेता  जान।
क्यों  ले  लेता  जान,  जान   जाने   से  पहले।
सच है  दुष्कर बहुत, भले कोई  कुछ  कह ले।
इसकी  चूनर   फटी,  फटा  रहता   है  लँहगा।
सच  कहता  हूँ  सत्य,  बड़ा  होता  है  मँहगा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.09.2017
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