कुण्डलिया
मौसम है मधुमास का, नगिचाया है फ़ाग।
अंग-अंग में मस्तियाँ, जाग रहा अनुराग।
जाग रहा अनुराग, शिथिल तन हैं गदराये।
नभ-जल-थल बेचैन, आम जामुन बौराये।
बालक हुए जवान, बढ़ा बूढ़ों में दमखम।
नर-नारी मदमस्त, फ़ाग का आया मौसम।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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