Saturday, March 19, 2016

231. मौसम है मधुमास का (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

मौसम  है मधुमास  का, नगिचाया है फ़ाग।
अंग-अंग  में  मस्तियाँ, जाग  रहा अनुराग।
जाग  रहा अनुराग, शिथिल तन हैं गदराये।
नभ-जल-थल बेचैन, आम जामुन  बौराये।
बालक हुए जवान, बढ़ा  बूढ़ों  में दमखम।
नर-नारी मदमस्त, फ़ाग का आया मौसम।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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