कुण्डलिया
दर्पण सम्मुख बैठ के, छवि को रही निहार।
नथनी, झुमका, चूड़ियाँ, पहन गले में हार।
पहन गले में हार, सजे बालों में गजरा।
बिंदी सोहे भाल, और आँखों में कजरा।
रति सा रूप निखार, हिये में भाव समर्पण।
कैसे रहा सँभाल, देख के ये सब दर्पण।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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