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Friday, March 18, 2016
227. पिता अम्बर से ऊँचा है (मुक्तक)
पिता अंबर से ऊँचा है, पिता सागर से गहरा है,
पिता भीतर से उपवन पर, दिखे बाहर से सहरा है,
पिता है तो सुरक्षा है, पिता से घर की रक्षा है,
वही घर-द्वार रक्षित है, पिता का जिस पे पहरा है॥
रणवीर सिंह (अनुपम)
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