826. गधे पँजीरी खा रहे (कुंडलिया)
गधे पँजीरी खा रहे, घोड़ों को नहिं घास।
चवनप्राश उनको मिले, जो हैं खासमखास।
जो हैं खासमखास, उन्हें सब सुख सुविधाएं।
ढेंचूँ - ढेंचूँ करें, गर्दभी राग सुनाएं।
जो-जो घोड़े यहाँ, देह सबकी है पीरी।
रामराज्य चहुँओर, खा रहे गधे पँजीरी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
11.08.2019
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.