819. दो दोहे क्या लिख लिए (कुंडलिया)
दो दोहे क्या लिख लिए, बनते सूर-कबीर।
तुक्का कभी चलात हैं, कभी चलाएं तीर।
कभी चलाएं तीर, एक पटना इक दिल्ली।
कभी ऊँट के संग, बाँध देते हैं बिल्ली।
कथ्य-तथ्य बेजान, काफिया भी नहिं सोहे।
मूँछे ऐंठत फिरें, लिखे जब से दो दोहे।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
03.07.2019
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