Sunday, August 04, 2019

822. सृष्टि-आधार हो (मुक्तक)

822. सृष्टि-आधार हो (मुक्तक)

सृष्टि-आधार हो, शक्ति का पुंज हो, नार तुमको नमन, नार तुमको नमन।
तुम न हो तो धरा एक शमशान है, तुमसे सुरभित पवन, तुमसे शोभित चमन।
कामना-वासना से जगत त्रस्त है, तुम ही करती दमन तुम ही करती शमन।
प्रेम पुष्पित करो, तुम करो पल्लवित, तुम्हरा हर आगमन शोक का है गमन।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
04.08.2019
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