आज बड़े जोर-शोर से मदर डे मनाया जा रहा है। माँ के साथ सेल्फी ली जा रहीं हैं, उसके महत्व में कसीदे पढ़े जा रहे हैं। जिसके अस्तित्व से समूची सृष्टि का अस्तित्व हो उसे एक दिन में बाँधना, लोगों की मूर्खता, अल्पज्ञता और ड्रामेबाजी नहीं तो क्या है? इसी पर मेरे दो मुक्तक।
आधुनिक बनने - बनाने, का तमाशा किसलिए।
चोचलेबाजी दिखाने, का तमाशा किसलिए।
जिसके' ही अस्तित्व में, इस सृष्टि का अस्तित्व है।
ऐसी' माँ का कद घटाने, का तमाशा किसलिए।
मदर डे आ गया देखो, दिलों में प्यार उमड़ा है।
जताने प्रेम माँ के प्रति, सभी संसार उमड़ा है।
अकेली आज तक जो माँ, पड़ी थी एक कोने में।
उसी सँग सेल्फी लेने, पूरा परिवार उमड़ा है।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
14.05.2017
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