Wednesday, May 10, 2017

342. आए कई निजाम पर (कुण्डलिया)

कुण्डलिया छंद

आए   कई  निजाम  पर, बदला ना  दुर्भाग।
वही भुखमरी रोज की, वही उदर की आग।
वही  उदर  की  आग,  वही जूठन लाचारी।
वही  रोज   दुत्कार,  वही   हरदिन  बेगारी।
सरकारें दी बदल, भाग्य पर  बदल न पाए।
वोट  दिया  है बार,  हाथ  दुर्दिन  ही  आए।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
10.05.2017
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