उन्हीं की हो रही बातें, उन्हीं के हो रहे चर्चे।
हमारी इस कमाई से, उन्हीं के चल रहे खर्चे।
उधर की जिंदगी मखमल, दुशाले ओढ़ सोती है।
इधर ईमानदारी पर, फटी सी भी न धोती है।
उन्हें हर भोग हासिल है, उदर की आग क्या जानें।
उन्हें बस स्वार्थ से मतलब, मेरा दुर्भाग क्या जानें।
उन्हें मतलब नहीं कुछ भी, मेरी फूटी कठौती से।
उन्हें तो सिर्फ मतलब है, जमींदारी बपौती से।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
10.05.2017
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