785. ऐसे मुँह मत खोल तू (कुंडलिया)
ऐसे मुँह मत खोल तू, क्या तेरी मति भ्रष्ट।
पगले अब चुपचाप रह, भूल-भाल हर कष्ट।
भूल-भाल हर कष्ट, लगा तू भी जयकारा।
झंडा-डंडा पकड़, उन्हीं का बन हरकारा।
हाँ जी, हाँ जी, सीख, सीख ली, मैंने जैसे।
बेशक खाली उदर, खोल पर मुँह मत ऐसे।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.06.2019
*****
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.