Sunday, June 30, 2019

785. ऐसे मुँह मत खोल तू (कुंडलिया)

785. ऐसे मुँह मत खोल तू (कुंडलिया)

ऐसे  मुँह  मत खोल तू, क्या तेरी  मति भ्रष्ट।
पगले अब चुपचाप रह, भूल-भाल हर कष्ट।
भूल-भाल  हर कष्ट, लगा  तू भी  जयकारा।
झंडा-डंडा  पकड़, उन्हीं  का  बन हरकारा।
हाँ जी, हाँ जी, सीख, सीख  ली, मैंने  जैसे।
बेशक खाली उदर, खोल पर मुँह  मत ऐसे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.06.2019
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